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बहुत नफरत थी संसार में

बहुत नफरत थी संसार में
हर हाथ में तलवार थी।
तब उसने कलम उठाई
और मोहब्बत लिख डाली।

जिसे तुम नफरत समझते हो वह नफरत नहीं है।
जिसे तुम मोहब्बत कहते हो वह मोहब्बत नहीं है।
यह केवल हसरतों का खेल है मेरे दोस्त।
उसकी हसरत तुम्हारी, तुम्हारी हसरत उसकी नहीं है।

वह कहता है तू चींटी को भी तेरी तरह देख।
अपनी आंखों को कब तक धोखा दोगे।
अगर वह कुछ नहीं है तो सब कुछ कैसे हो सकता है।
और अगर वह सब कुछ है तो कुछ कुछ भी जरूर होगा।

उसे ना तिनका होने का दुख है ।
ना अनंत होने का कोई सुख है ।
वह ऐसा है जैसे है ही नहीं।
और नहीं तो यहां कुछ भी नहीं।

जिसकी आंखों को तलाश है
मन कहता है वह मुझ में है।
तेरा मेरा करता मन रोगी
वह एक है सब उसमें है।

परछाइयों के पीछे भागने वालो
राख की परछाई ढूंढते हो।
हंसता है वह देख के तुमको
जिसके लिए तुम झगड़ते हो।

जय श्री कृष्ण

#chetanshrikrishna

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9 Comments

वाह लाजवाब बहुत ही खूबसूरत और भावनात्मक सृजन

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Neelam josi

21-May-2022 03:48 PM

Very nice 👌

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Seema Priyadarshini sahay

19-May-2022 06:04 PM

बहुत खूबसूरत

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